• 1. साक्षी है रात जबकि वह छा जाए,

  • 2. और दिन जबकि वह प्रकाशमान हो,

  • 3. और नर और मादा का पैदा करना,

  • 4. कि तुम्हारा प्रयास भिन्न-भिन्न है

  • 5. तो जिस किसी ने दिया और डर रखा,

  • 6. और अच्छी चीज़ की पुष्टि की,

  • 7. हम उस सहज ढंग से उस चीज का पात्र बना देंगे, जो सहज और मृदुल (सुख-साध्य) है

  • 8. रहा वह व्यक्ति जिसने कंजूसी की और बेपरवाही बरती,

  • 9. और अच्छी चीज़ को झुठला दिया,

  • 10. हम उसे सहज ढंग से उस चीज़ का पात्र बना देंगे, जो कठिन चीज़ (कष्ट-साध्य) है

  • 11. और उसका माल उसके कुछ काम न आएगा, जब वह (सिर के बल) खड्ड में गिरेगा

  • 12. निस्संदेह हमारे ज़िम्मे है मार्ग दिखाना

  • 13. और वास्तव में हमारे अधिकार में है आख़िरत और दुनिया भी

  • 14. अतः मैंने तुम्हें दहकती आग से सावधान कर दिया

  • 15. इसमें बस वही पड़ेगा जो बड़ा ही अभागा होगा,

  • 16. जिसने झुठलाया और मुँह फेरा

  • 17. और उससे बच जाएगा वह अत्यन्त परहेज़गार व्यक्ति,

  • 18. जो अपना माल देकर अपने आपको निखारता है

  • 19. और हाल यह है कि किसी का उसपर उपकार नहीं कि उसका बदला दिया जा रहा हो,

  • 20. बल्कि इससे अभीष्ट केवल उसके अपने उच्च रब के मुख (प्रसन्नता) की चाह है

  • 21. और वह शीघ्र ही राज़ी हो जाएगा

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