• 1. गवाह है वे (हवाएँ) जो ज़ोर से उखाड़ फैंके,
  • 2. और गवाह है वे (हवाएँ) जो नर्मी के साथ चलें,
  • 3. और गवाह है वे जो वायुमंडल में तैरें,
  • 4. फिर एक-दूसरे से अग्रसर हों,
  • 5. और मामले की तदबीर करें
  • 6. जिस दिन हिला डालेगी हिला डालनेवाले घटना,
  • 7. उसके पीछ घटित होगी दूसरी (घटना)
  • 8. कितने ही दिल उस दिन काँप रहे होंगे,
  • 9. उनकी निगाहें झुकी होंगी
  • 10. वे कहते है, "क्या वास्तव में हम पहली हालत में फिर लौटाए जाएँगे?
  • 11. क्या जब हम खोखली गलित हड्डियाँ हो चुके होंगे?"
  • 12. वे कहते है, "तब तो लौटना बड़े ही घाटे का होगा।"
  • 13. वह तो बस एक ही झिड़की होगी,
  • 14. फिर क्या देखेंगे कि वे एक समतल मैदान में उपस्थित है
  • 15. क्या तुम्हें मूसा की ख़बर पहुँची है?
  • 16. जबकि उसके रब ने पवित्र घाटी `तुवा` में उसे पुकारा था
  • 17. कि "फ़िरऔन के पास जाओ, उसने बहुत सिर उठा रखा है
  • 18. "और कहो, क्या तू यह चाहता है कि स्वयं को पाक-साफ़ कर ले,
  • 19. "और मैं तेरे रब की ओर तेरा मार्गदर्शन करूँ कि तु (उससे) डरे?"
  • 20. फिर उसने (मूसा ने) उसको बड़ी निशानी दिखाई,
  • 21. किन्तु उसने झुठला दिया और कहा न माना,
  • 22. फिर सक्रियता दिखाते हुए पलटा,
  • 23. फिर (लोगों को) एकत्र किया और पुकारकर कहा,
  • 24. "मैं तुम्हारा उच्चकोटि का स्वामी हूँ!"
  • 25. अन्ततः अल्लाह ने उसे आख़िरत और दुनिया की शिक्षाप्रद यातना में पकड़ लिया
  • 26. निस्संदेह इसमें उस व्यक्ति के लिए बड़ी शिक्षा है जो डरे!
  • 27. क्या तुम्हें पैदा करना अधिक कठिन कार्य है या आकाश को? अल्लाह ने उसे बनाया,
  • 28. उसकी ऊँचाई को ख़ूब ऊँचा करके उसे ठीक-ठाक किया;
  • 29. और उसकी रात को अन्धकारमय बनाया और उसका दिवस-प्रकाश प्रकट किया
  • 30. और धरती को देखो! इसके पश्चात उसे फैलाया;
  • 31. उसमें से उसका पानी और उसका चारा निकाला
  • 32. और पहाड़ो को देखो! उन्हें उस (धरती) में जमा दिया,
  • 33. तुम्हारे लिए और तुम्हारे मवेशियों के लिए जीवन-सामग्री के रूप में
  • 34. फिर जब वह महाविपदा आएगी,
  • 35. उस दिन मनुष्य जो कुछ भी उसने प्रयास किया होगा उसे याद करेगा
  • 36. और भड़कती आग (जहन्नम) देखने वालों के लिए खोल दी जाएगी
  • 37. तो जिस किसी ने सरकशी की
  • 38. और सांसारिक जीवन को प्राथमिकता दो होगी,
  • 39. तो निस्संदेह भड़कती आग ही उसका ठिकाना है
  • 40. और रहा वह व्यक्ति जिसने अपने रब के सामने खड़े होने का भय रखा और अपने जी को बुरी इच्छा से रोका,
  • 41. तो जन्नत ही उसका ठिकाना है
  • 42. वे तुमसे उस घड़ी के विषय में पूछते है कि वह कब आकर ठहरेगी?
  • 43. उसके बयान करने से तुम्हारा क्या सम्बन्ध?
  • 44. उसकी अन्तिम पहुँच तो तेरे से ही सम्बन्ध रखती है
  • 45. तुम तो बस उस व्यक्ति को सावधान करनेवाले हो जो उससे डरे
  • 46. जिस दिन वे उसे देखेंगे तो (ऐसा लगेगा) मानो वे (दुनिया में) बस एक शाम या उसकी सुबह ही ठहरे है
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