• 1. गवाह है (हवाएँ) जो गर्द-ग़ुबार उड़ाती फिरती है;

  • 2. फिर बोझ उठाती है;

  • 3. फिर नरमी से चलती है;

  • 4. फिर मामले को अलग-अलग करती है;

  • 5. निश्चय ही तुमसे जिस चीज़ का वादा किया जाता है, वह सत्य है;

  • 6. और (कर्मों का) बदला अवश्य सामने आकर रहेगा

  • 7. गवाह है धारियोंवाला आकाश।

  • 8. निश्चय ही तुम उस बात में पड़े हुए हो जिनमें कथन भिन्न-भिन्न है

  • 9. इसमें कोई सरफिरा ही विमुख होता है

  • 10. मारे जाएँ अटकल दौड़ानेवाले;

  • 11. जो ग़फ़लत में पड़े हुए हैं भूले हुए

  • 12. पूछते है, "बदले का दिन कब आएगा?"

  • 13. जिस दिन वे आग पर तपाए जाएँगे,

  • 14. "चखों मज़ा. अपने फ़ितने (उपद्रव) का! यहीं है जिसके लिए तुम जल्दी मचा रहे थे।"

  • 15. निश्चय ही डर रखनेवाले बाग़ों और स्रोतों में होंगे

  • 16. जो कुछ उनके रब ने उन्हें दिया, वे उसे ले रहे होंगे। निस्संदेह वे इससे पहले उत्तमकारों में से थे

  • 17. रातों को थोड़ा ही सोते थे,

  • 18. और वही प्रातः की घड़ियों में क्षमा की प्रार्थना करते थे

  • 19. और उनके मालों में माँगनेवाले और धनहीन का हक़ था

  • 20. और धरती में विश्वास करनेवालों के लिए बहुत-सी निशानियाँ है,

  • 21. और ,स्वयं तुम्हारे अपने आप में भी। तो क्या तुम देखते नहीं?

  • 22. और आकाश मे ही तुम्हारी रोज़ी है और वह चीज़ भी जिसका तुमसे वादा किया जा रहा है

  • 23. अतः सौगन्ध है आकाश और धरती के रब की। निश्चय ही वह सत्य बात है ऐसे ही जैसे तुम बोलते हो

  • 24. क्या इबराईम के प्रतिष्ठित अतिथियों का वृतान्त तुम तक पहँचा?

  • 25. जब वे उसके पास आए तो कहा, "सलाम है तुमपर!" उसने भी कहा, "सलाम है आप लोगों पर भी!" (और जी में कहा) "ये तो अपरिचित लोग हैं।"

  • 26. फिर वह चुपके से अपने घरवालों के पास गया और एक मोटा-ताज़ा बछड़ा (का भूना हुआ मांस) ले आया

  • 27. और उसे उनके सामने पेश किया। कहा, "क्या आप खाते नहीं?"

  • 28. फिर उसने दिल में उनसे डर महसूस किया। उन्होंने कहा, "डरिए नहीं।" और उन्होंने उसे एक ज्ञानवान लड़के की मंगल-सूचना दी

  • 29. इसपर उसकी स्त्री (चकित होकर) आगे बढ़ी और उसने अपना मुँह पीट लिया और कहने लगी, "एक बूढ़ी बाँझ (के यहाँ बच्चा पैदा होगा)!"

  • 30. उन्होंने कहा, "ऐसी ही तेरे रब ने कहा है। निश्चय ही वह बड़ा तत्वदर्शी, ज्ञानवान है।"

  • 31. उसने कहा, "ऐ (अल्लाह के भेजे हुए) दूतों, तुम्हारे सामने क्या मुहिम है?"

  • 32. उन्होंने कहा, "हम एक अपराधी क़ौम की ओर भेजे गए है;

  • 33. "ताकि उनके ऊपर मिट्टी के पत्थर (कंकड़) बरसाएँ,

  • 34. जो आपके रब के यहाँ सीमा का अतिक्रमण करनेवालों के लिए चिन्हित है।"

  • 35. फिर वहाँ जो ईमानवाले थे, उन्हें हमने निकाल लिया;

  • 36. किन्तु हमने वहाँ एक घर के अतिरिक्त मुसलमानों (आज्ञाकारियों) का और कोई घर न पाया

  • 37. इसके पश्चात हमने वहाँ उन लोगों के लिए एक निशानी छोड़ दी, जो दुखद यातना से डरते है

  • 38. और मूसा के वृतान्त में भी (निशानी है) जब हमने फ़िरऔन के पास के स्पष्ट प्रमाण के साथ भेजा,

  • 39. किन्तु उसने अपनी शक्ति के कारण मुँह फेर लिया और कहा, "जादूगर है या दीवाना।"

  • 40. अन्ततः हमने उसे और उसकी सेनाओं को पकड़ लिया और उन्हें गहरे पानी में फेंक दिया, इस दशा में कि वह निन्दनीय था

  • 41. और आद में भी (तुम्हारे लिए निशानी है) जबकि हमने उनपर अशुभ वायु चला दी

  • 42. वह जिस चीज़ पर से गुज़री उसे उसने जीर्ण-शीर्ण करके रख दिया

  • 43. और समुद्र में भी (तुम्हारे लिए निशानी है) जबकि उनसे कहा गया, "एक समय तक मज़े कर लो!"

  • 44. किन्तु उन्होंने अपने रब के आदेश की अवहेलना की; फिर कड़क ने उन्हें आ लिया और वे देखते रहे

  • 45. फिर वे न खड़े ही हो सके और न अपना बचाव ही कर सके

  • 46. और इससे पहले नूह की क़ौम को भी पकड़ा। निश्चय ही वे अवज्ञाकारी लोग थे

  • 47. आकाश को हमने अपने हाथ के बल से बनाया और हम बड़ी समाई रखनेवाले है

  • 48. और धरती को हमने बिछाया, तो हम क्या ही ख़ूब बिछानेवाले है

  • 49. और हमने हर चीज़ के जोड़े बनाए, ताकि तुम ध्यान दो

  • 50. अतः अल्लाह की ओर दौड़ो। मैं उसकी ओर से तुम्हारे लिए एक प्रत्यक्ष सावधान करनेवाला हूँ

  • 51. और अल्लाह के साथ कोई दूसरा पूज्य-प्रभु न ठहराओ। मैं उसकी ओर से तुम्हारे लिए एक प्रत्यक्ष सावधान करनेवाला हूँ

  • 52. इसी तरह उन लोगों के पास भी, जो उनसे पहले गुज़र चुके है, जो भी रसूल आया तो उन्होंने बस यही कहा, "जादूगर है या दीवाना!"

  • 53. क्या उन्होंने एक-दूसरे को इसकी वसीयत कर रखी है? नहीं, बल्कि वे है ही सरकश लोग

  • 54. अतः उनसे मुँह फेर लो अब तुमपर कोई मलामत नहीं

  • 55. और याद दिलाते रहो, क्योंकि याद दिलाना ईमानवालों को लाभ पहुँचाता है

  • 56. मैंने तो जिन्नों और मनुष्यों को केवल इसलिए पैदा किया है कि वे मेरी बन्दगी करे

  • 57. मैं उनसे कोई रोज़ी नहीं चाहता और न यह चाहता हूँ कि वे मुझे खिलाएँ

  • 58. निश्चय ही अल्लाह ही है रोज़ी देनेवाला, शक्तिशाली, दृढ़

  • 59. अतः जिन लोगों ने ज़ुल्म किया है उनके लिए एक नियत पैमाना है; जैसा उनके साथियों का नियत पैमाना था। अतः वे मुझसे जल्दी न मचाएँ!

  • 60. अतः इनकार करनेवालों के लिए बड़ी खराबी है, उनके उस दिन के कारण जिसकी उन्हें धमकी दी जा रही है

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