1. कहो, "मैं शरण लेता हूँ, प्रकट करनेवाले रब की,
2. जो कुछ भी उसने पैदा किया उसकी बुराई से,
3. और अँधेरे की बुराई से जबकि वह घुस आए,
4. और गाँठो में फूँक मारने-वालों की बुराई से,
5. और ईर्ष्यालु की बुराई से, जब वह ईर्ष्या करे।"