1. साक्षी है जो हाँफते-फुँकार मारते हुए दौड़ते है,
2. फिर ठोकरों से चिनगारियाँ निकालते है,
3. फिर सुबह सवेरे धावा मारते होते है,
4. उसमें उठाया उन्होंने गर्द-गुबार
5. और इसी हाल में वे दल में जा घुसे
6. निस्संदेह मनुष्य अपने रब का बड़ा अकृतज्ञ हैं,
7. और निश्चय ही वह स्वयं इसपर गवाह है!
8. और निश्चय ही वह धन के मोह में बड़ा दृढ़ है
9. तो क्या वह जानता नहीं जब उगवला लिया जाएगा तो क़ब्रों में है
10. और स्पष्ट अनावृत्त कर दिया जाएगा तो कुछ सीनों में है
11. निस्संदेह उनका रब उस दिन उनकी पूरी ख़बर रखता होगा